सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

इशारे


















किसी   के  दिल  में चुपके  से  रह  लेना  तो  जायज  है
मगर  आने  से  पहले  कुछ  इशारे  भी  किये  होते 

नज़रों  से मिली नजरे तो नज़रों में बसी सूरत 
काश हमको उस खुदाई के नज़ारे  भी दिए होते

अपना हमसफ़र जाना ,इबादत भी करी जिनकी
चलतें दो कदम संग में ,सहारे भी दिए होते

जीने का नजरिया फिर अपना कुछ अलग होता 
गर अपनी जिंदगी के गम ,सारे दे दिए होते

दिल को भी जला लेते और ख्बाबों को जलाते  हम
गर मुहब्बत में अँधेरे के इशारे जो किये होते

ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई

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  2. दिल को भी जला लेते और ख्बाबों को जलाते हम
    गर मुहब्बत में अँधेरे के इशारे जो किये होते

    बहुत शानदार ग़ज़ल

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  3. अपना हमसफ़र जाना ,इबादत भी करी जिनकी
    चलतें दो कदम संग में ,सहारे भी दिए होते,,,, वाह

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