मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

ग़ज़ल:सुन्दर हिंदी प्यारी हिन्दी







आप के लिये 
रचनाकार श्री मदन मोहन सक्सेना जी की एक ग़ज़ल: 


चेहरे की हकीकत को समझ जाओ तो अच्छा है
तन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता है..

मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको ही
मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है

क्या बताये आपको हम अपने दिल की दास्ताँ
किसी पत्थर की मूरत पर ये अक्सर मचल जाता

किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे
जीने का नजरिया फिर उसका बदल जाता है


मदन मोहन सक्सेना:

1 टिप्पणी:

  1. क्या बताये आपको हम अपने दिल की दास्ताँ
    किसी पत्थर की मूरत पर ये अक्सर मचल जाता,,,

    बहुत सुंदर गजल,,,

    recent post: बात न करो,

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