बुधवार, 2 जनवरी 2013

तमन्ना




सजा  क्या खूब मिलती है ,  किसी   से   दिल  लगाने  की
तन्हाई  की  महफ़िल  में  आदत  हो  गयी   गाने  की 

हर  पल  याद  रहती  है , निगाहों  में  बसी  सूरत
तमन्ना  अपनी  रहती  है  खुद  को  भूल  जाने  की 

 उम्मीदों   का  काजल    जब  से  आँखों  में  लगाया  है
कोशिश    पूरी  रहती  है , पत्थर  से  प्यार  पाने  की 

अरमानो  के  मेले  में  जब  ख्बाबो  के  महल   टूटे
बारी  तब  फिर  आती  है , अपनों  को  आजमाने  की

मर्जे  इश्क  में   अक्सर हुआ करता है ऐसा भी
जीने पर हुआ करती है ख्बहिश मौत पाने की



ग़ज़ल
मदन मोहन सक्सेना






8 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आदरणीय जी ,सादर अभिवादन ! प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ ! सदैव मेरे ब्लौग आप का स्वागत है !!

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  2. दुश्मनों से प्यार होता जायेगा...
    दोस्तों को आज़माते जाइये...

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    उत्तर
    1. आदरणीय जी ,सादर अभिवादन ! प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ ! सदैव मेरे ब्लौग आप का स्वागत है !!

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  3. ♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
    ♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
    ♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥




    सजा क्या खूब मिलती है , किसी से दिल लगाने की
    तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की

    वाहवाह !
    क्या बात है...
    आदरणीय मदनमोहन सक्सेना जी !

    कुछ और चमक लाने का प्रयास करें ...
    शानदार ग़ज़लकार बनने की पूरी गुंजाइश है
    :)
    आपकी लेखनी से सदैव सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन हो - यही कामना है …

    नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार
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    1. Thanks a Lot for feedback. I would like to know how better i can do,suggest in details. Thank you so much ,i am obliged for you being on this status !

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  4. मर्जे इश्क में अक्सर हुआ करता है ऐसा भी
    जीने पर हुआ करती है ख्बाहिश मौत पाने की.

    बेहतरीन विचार. सुंदर प्रस्तुति.

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