गुरुवार, 24 जनवरी 2013

गणतंत्र दिबस













 







गणतंत्र दिबस के अबसर कबिता:

मेरा भारत महान
जय हिंदी जय हिंदुस्तान मेरा भारत बने महान

गंगा यमुना सी नदियाँ हैं जो देश का मान  बढ़ाती हैं
सीता सावित्री सी देवी जो आज भी पूजी जाती हैं

यहाँ जाति धर्म का भेद नहीं सब मिलजुल करके रहतें हैं
गाँधी सुभाष टैगोर तिलक नेहरु का भारत कहतें हैं

यहाँ नाम का कोई जिक्र नहीं बस काम ही देखा जाता है
जिसने जब कोई काम किया बह ही सम्मान पाता है

जब भी कोई मिले आकर बो गले लगायें जातें हैं

जब  आन मान की बात बने तो शीश कटाए जातें हैं

आजाद भगत बिस्मिल रोशन बीरों की ये तो जननी है
प्रण पाला जिसका इन सबने बह पूरी हमको करनी है

मथुरा हो या काशी हो चाहें अजमेर हो या अमृतसर
सब जातें प्रेम भाब से हैं झुक जातें हैं सबके ही सर.
  
प्रस्तुति: 
मदन मोहन सक्सेना

6 टिप्‍पणियां:

  1. मथुरा हो या काशी हो चाहें अजमेर हो या अमृतसर
    सब जातें प्रेम भाब से हैं झुक जातें हैं सबके ही सर.,,,बहुत सुंदर प्रस्तुति...

    गणतंत्र दिबस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,

    recent post: गुलामी का असर,,,

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  2. गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें ......!!

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  3. मथुरा हो या काशी हो चाहें अजमेर हो या अमृतसर
    सब जातें प्रेम भाब से हैं झुक जातें हैं सबके ही सर.

    सुंदर प्रस्तुति.

    आपको गणतंत्र दिवस की बधाइयाँ और शुभकामनायें.

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  4. बहुत ही सार्थक,बेहतरीन अभिव्यक्ति।आपको गणतंत्र दिवस की बधाइयाँ और शुभकामनायें.

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