गुरुवार, 17 जनवरी 2013

ग़ज़ल




उसे हम बोल क्या बोलें जो दिल को दर्द दे जाये
सुकूं दे चैन दे दिल को , उसी को बोल बोलेंगें ..

जीवन के सफ़र में जो मुसीबत में भी अपना हो
राज ए दिल मोहब्बत के, उसी से यार खोलेंगें  ..

जब अपनों से और गैरों से मिलते हाथ सबसे हों
किया जिसने भी जैसा है , उसी से यार तोलेंगें ..

अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
 मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी  के यार होलेंगें ..

जितना हो जरुरी ऱब, मुझे उतनी रोशनी देना 
अँधेरे में भी डोलेंगें उजालें में भी डोलेंगें ..
 


ग़ज़ल
मदन मोहन सक्सेना

5 टिप्‍पणियां:

  1. अपना क्या,हम तो बस,पानी की ही माफिक हैं
    मिलेगा प्यार से हमसे,उसी के यार होलेंगें ..

    बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,,,,madan jee

    recent post: मातृभूमि,

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  2. बहुत बढ़िया ग़ज़ल...
    जीवन के सफ़र में जो मुसीबत में भी अपना हो
    राज ए दिल मोहब्बत के, उसी से यार खोलेंगें ..
    वाह..
    लाजवाब शेर..
    अनु

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  3. बिना मत्ले की ग़ज़ल.....अच्छी है... पर..शीर्षक में काब्य की बजाय...काव्य करलें ..

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  4. बहुत ही सुन्दर ..स्वस्थ सोच ...साभार ..!

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  5. अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
    मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी के यार होलेंगें ..

    सुंदर विचार, सुंदर प्रस्तुति.

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