शुक्रवार, 24 मई 2013

दोस्ती



























कभी गर्दिशों से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ..

इस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना कहे .
अब आज के इस दौर में ये दिल भी बेगाना हुआ

जिस रोज से देखा उन्हें मिलने लगी मेरी नजर
आखो से मय पीने लगे मानो की मयखाना हुआ

इस कदर अन्जान हैं हम आज अपने हाल से
हमसे मिलकरके बोला आइना ये शख्श बेगाना हुआ

ढल नहीं जाते हैं लब्ज यूँ ही रचना में कभी
कभी ग़ज़ल उनसे मिल गयी कभी गीत का पाना हुआ

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

8 टिप्‍पणियां:

  1. लाजवाब अभिव्यक्ति | बहुत सुन्दर | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं
  2. कभी गर्दिशों से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
    चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ..

    वाह!!!बहुत सुंदर प्यारी गजल ,,,

    Recent post: जनता सबक सिखायेगी...

    जवाब देंहटाएं
  3. जिस रोज से देखा उन्हें मिलने लगी मेरी नजर
    आखो से मय पीने लगे मानो की मयखाना हुआ

    वाह,क्या पंक्तियाँ हैं,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  4. इस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना कहे .
    अब आज के इस दौर में ये दिल भी बेगाना हुआ
    बहुत ही सुन्दर

    जवाब देंहटाएं