शुक्रवार, 21 जून 2013

श्रद्धा





















कुदरत का कहर 
कई हजार लोगों के बीच में फसें होने की उम्मीद
अपनों का इंतज़ार करती आँखें 
जिंदगी की चाहत में मौत से पल पल का संघर्ष
फिर से बही गंदी कहानी 
शबों से पैसे,गहने  लुटते
आदमी के रूप में शैतान 
सरकार का बही ढीला रबैया 
हजारों के लिए गिनती के हेलिकॉप्टर 
राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की कशमकश
इस बीच 
खुद को
लाचार ,ठगा महसूस 
करता इस देश का नागरिक .
इन सबके बीच 
भारतीय सेना के जबानों ने 
साबित कर दिया
कि उनके मन में जितनी श्रद्धा 
भारत मत के लिए है 
उतनी या उससे कहीं अधिक 
चिंता देश के अबाम की है .


मदन मोहन सक्सेना .

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति

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  2. सहमत .बेड़ा गर्क इनका (नेताओं )का भी होगा आज नहीं तो कल इस जन्म में नहीं तो अगले में कर्म की छाया से व्यक्ति भाग नहीं सकता है .ॐ शान्ति .

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  3. सच कहा है ... देश के जाबांज सैनिक न हों तो इतना बचाव भी नहीं हो पाता ...
    सलाम है वीरों को ...

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