रविवार, 28 जून 2015

ये जीबन यार ऐसा ही




ये जीबन यार ऐसा ही ,ये दुनियाँ यार ऐसी ही
संभालों यार कितना भी आखिर छूट जाना है

सभी बेचैन रहतें हैं ,क्यों मीठी बात सुनने को
सच्ची बात कहने पर फ़ौरन रूठ जाना है

समय के साथ बहने का मजा कुछ और है प्यारे
बरना, रिश्तें काँच से नाजुक इनको टूट जाना है

रखोगे हौसला प्यारे तो हर मुश्किल भी आसां है
अच्छा भी समय गुजरा बुरा भी फूट जाना है

मदन मोहन सक्सेना

मंगलवार, 23 जून 2015

मेरी पोस्ट रंग बदलती दूनियाँ देखी आपका ब्लॉग ए बी पी न्यूज़ में



मेरी पोस्ट रंग बदलती दूनियाँ देखी आपका ब्लॉग ए बी पी न्यूज़ में 




 

प्रिय   मित्रों मुझे बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि मेरी पोस्ट रंग बदलती दूनियाँ देखी आपका ब्लॉग ए बी पी न्यूज़ में शामिल की गयी है।  आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएं।


 http://aapkablog.abplive.in/blogs/madan-saxena







रंग बदलती दूनियाँ

सपनीली दुनियाँ मेँ यारों सपनें खूब मचलते देखे
रंग बदलती दूनियाँ देखी ,खुद को रंग बदलते देखा

सुबिधाभोगी को तो मैनें एक जगह पर जमते देख़ा
भूखों और गरीबोँ को तो दर दर मैनें चलते देखा

देखा हर मौसम में मैनें अपने बच्चों को कठिनाई में
मैनें टॉमी डॉगी शेरू को, खाते देखा पलते देखा

पैसों की ताकत के आगे गिरता हुआ जमीर मिला
कितना काम जरुरी हो पर उसको मैने टलते देखा

रिश्तें नातें प्यार की बातें ,इनको खूब सिसकते देखा
नए ज़माने के इस पल मेँ अपनों को भी छलते देखा

मदन मोहन सक्सेना

रविवार, 21 जून 2015

एक मुक्तक















एक मुक्तक 

जिन्हें दुनिया की ना परवाह जिनके हौसलें ऐसे 
दिल की बात सुनकर के अपने दम पर जीते हैं
बिखेरेंगे ज़माने में खुशियां गर मिले उनको
छुपा कर अपने गम को  ,जो खुद ही यार पीते हैं 


मदन मोहन  सक्सेना

सोमवार, 15 जून 2015

मोदी , मदद और मुसीबत


मोदी , मदद और मुसीबत


कल शाम को
टी बी पर एक घटना देखी
संबिधान और कानून की  रक्षा  करने की शपथ लेने बाले मंत्री ने
देश के कानून से भागने बाले की
मानबीय आधार पर मदद क्या की
बिरोधी दलों को मानों  मौका मिल गया
बिरोध करने का 
लेकिन जिस तरह की राजनीति आजकल चल रही है
जब भी किसी नेता या मंत्री पर आरोप लगता है
तो पहली प्रतिक्रिया होती है
कि हमारा नेता या मंत्री बेकसूर है.
वही इस मामले में भी हो रहा है
और अब देश की विदेश मंत्री
क़ानून से भागे हुए एक व्यक्ति के संपर्क में क्यों थीं?
ये सवाल उनसे ज़रूर पूछा जाना चाहिए.
जिस व्यक्ति को देश का क़ानून,
इनफोर्समेंट डायरेक्टर खोज रहा है
जिसके बारे में लुक आउट नोटिस है
जिसका पासपोर्ट एक बार रद्द किया जा चुका है
ऐसे व्यक्ति से देश की विदेश मंत्री संपर्क में क्यों थीं?
उसकी मदद क्यों कर रही थीं?
सवाल उठता है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?
मानबीय आधार पर
या फिर कुछ और बजह से
आखिर सरकार और मंत्रियों की
मानबता
तब क्यों गायब हो जाती है
जब किसान आत्म हत्या करते हैं
गरीब परिबार अपनी जान दे देता है
देश का आम नागरिक
अमानबीय  स्थिति में जीने को मजबूर रहता है




 

बुधवार, 3 जून 2015

ख्वाहिश अपने दिल की


ख्वाहिश अपने दिल की


हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी ना दीजिये
जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी ना दीजिये

तन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया
प्रभु आपको इस तुच्छ का है लाखों लाखों शुक्रिया

चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो
प्रेम के रिश्ते हों सबसे ,प्यार का संसार हो

मेरी अर्ध्य है प्रभु आपसे प्रभु शक्ति ऐसी दीजिये
मुझे त्याग करूणा प्रेम और मात्र  भक्ति दीजिये

तेरा नाम सुमिरन मुख करे कानों से सुनता रहूँ
करने को  समर्पित पुष्प मैं हाथों से चुनता रहूँ

जब तलक सांसें हैं मेरी ,तेरा दर्श मैं पाता रहूँ
ऐसी  कृपा  कुछ कीजिये तेरे द्वार मैं आता रहूँ

प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना