मंगलवार, 25 अगस्त 2015

हम ऐतवार कर लेगें




हम ऐतवार कर लेगें

बोलेंगे जो भी हमसे वह  ,हम ऐतवार कर लेगें
जो कुछ भी उनको प्यारा है ,हम उनसे प्यार कर लेगें

बह मेरे पास आयेंगे ये सुनकर के ही सपनो में
क़यामत से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें

मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें

जीवन भर की सब खुशियाँ ,उनके बिन अधूरी हैं 
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें

हमको प्यार है उनसे और करते प्यार वह हमको
गर अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पर कर लेगें


मदन मोहन सक्सेना

शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

सब सिस्टम का रोना रोते


सुबह हुयी और बोर हो गए
जीवन में अब सार नहीं है

रिश्तें अपना मूल्य खो रहे
अपनों में वो प्यार नहीं है

जो दादा के दादा ने देखा
अब बैसा संसार नहीं है

खुद ही झेली मुश्किल सबने
संकट में परिवार नहीं है

सब सिस्टम का रोना रोते
खुद बदलें ,तैयार नहीं है

मेहनत से किस्मत बनती हो
मदन आदमी लाचार नहीं है



मदन मोहन सक्सेना


शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

उसे हम बोल क्या बोलें

उसे हम बोल क्या बोलें


उसे हम बोल क्या बोलें जो दिल को दर्द दे जाये
सुकूं दे चैन दे दिल को , उसी को बोल बोलेंगें

जीवन के सफ़र में जो मुसीबत में भी अपना हो
राज ए दिल मोहब्बत के, उसी से यार खोलेंगें

जब अपनों से और गैरों से मिलते हाथ सबसे हों
किया जिसने भी जैसा है , उसी से यार तोलेंगें

अपना क्या, हम तो बस, पानी की ही माफिक हैं
मिलेगा प्यार से हमसे ,उसी  के यार होलेंगें

जितना हो जरुरी ऱब, मुझे उतनी रोशनी देना 
हम अँधेरे में भी डोलेंगें और उजालें में भी डोलेंगें 

प्रस्तुति
मदन मोहन सक्सेना