बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

कहतें दीपक जलता है







 


किस की कुर्वानी को किसने याद रखा है दुनियाँ में
जलता तेल औ बाती है कहतें दीपक जलता है

पथ में काँटें लाख बिछे हो मंजिल मिल जाती है उसको
बिन भटके जो इधर उधर ,राह पर अपनी चलता है

मिली दौलत मिली शोहरत मिला है यार सब कुछ क्यों
जैसा मौका बैसी बातें , जो पल पल बात बदलता है

छोड़ गया जो पत्थर दिल ,जिसने दिल को दर्द दिया है
दिल भी कितना पागल है ये उसके लिए मचलता है

दो पल गए बनाने में औ दो पल गए निभाने में
रिश्तों के कोलाहल में ये जीवन ऐसे ही चलता है


कहतें दीपक जलता है

मदन मोहन सक्सेना

गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

सब एक जैसे

आमिर शाहरुख़ सलमान सब एक जैसे 
सिर्फ चिंता अपनी फिल्मों की