सोमवार, 18 मई 2015

अरूणा शानबाग ( कोमा में सम्बेदना )





अरूणा शानबाग
केईएम अस्पताल में जूनियर नर्स के तौर पर काम करती थी
27 नवंबर 1973 को वार्ड ब्वॉय ने अरूणा पर यौन हमला किया
और कुत्ते के गले में बांधने वाली चेन से 
अरूणा का गला घोंटने की कोशिश की 
जिससे अरूणा के मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो गई
 हमले के बाद से अरूणा निष्क्रिय अवस्था में आ गई.
अरूणा
ने आज मुंबई में अंतिम साँस ली
अरुणा ही नहीं
 बल्कि हमारी संवेदना 42 साल कोमा में रही
पिछले 42 वर्षों से हमारे समाज के सामने वह एक सवाल के रूप में थी.
वह जिस पीड़ा से गुजरी
उसे बयां तो कभी नहीं कर पाई
लेकिन उसके आसपास मौजूद लोगों ने खूब महसूस किया और कसमसाए
दर्द दूर करने के लिए
कोर्ट से मदद मांगी गई, लेकिन राहत नहीं मिली
और अरुणा की पीड़ा से मुंह मोड़े
हमारा सिस्टम भी वहीं कोमा में पड़ा रहा
आज फिर बही सबाल
उत्तर  खोज रहे है
कि 
जब हमला करने बाला सात साल की सजा पूरी कर
बाहर की दुनिया में जी रहा है
तो फिर पीड़ित किस की सजा भुगत रही है
आज भी हमारा  सिस्टम
ऐसी घटनाओं से सबक क्यों नहीं लेता
और कोमा में पड़ा रहता है।





सोमवार, 11 मई 2015

जुर्म सज़ा और जमानत ( इक कड़बी सच्चाई )

जुर्म सज़ा और जमानत ( इक कड़बी सच्चाई )


सलमान के हिट एंड रन केस का
फैसला  क्या आया
मीडिया  का असली चेहरा सामने आ गया
ये बात भी सबको क्लियर हो गयी
देश का कानून आपकी औकात देखकर बात करता है
फ़िल्मी सितारों की नजर में
आदमी की जिंदगी और गरीबी की क्या कीमत है
आज भी हमारे देश में दो तरह के कानून हैं-
एक अमीरों के लिए और दूसरे गरीबों के लिए।
हमारी अदालतों का रवैया भी अमीरों और गरीबों के लिए अलग-अलग दो तरह का है।
कौन करेगा न्यायपालिका का ईलाज? कौन न्याय-प्रणाली को कमजोर और गरीबपरस्त बनाएगा।
इसी तरह  वॉलीबुड अभिनेता सलमान खान को
सजा मिलने के चंद घंटों के भीतर ही
हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करके,सुनवाई करके जमानत दे दी।
सजा मिलने में जहाँ 13 साल लग गए
वहीं जमानत मिलने में 13 घंटे भी नहीं लगे।
सवाल उठता है कि देश के सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में
जो 11 लाख मुकदमे लंबित हैं उनपर भी इसी तरह तात्कालिकता क्यों नहीं दिखाई जाती?
क्यों एक आम आदमी को दशकों तक कहा जाता है
कि अभी आपके मुकदमें का नंबर नहीं आया है
और किसी रसूखदार  लालू,माया,तीस्ता या सलमान के मामले की सुनवाई
तमाम लाइनों को तोड़कर तत्काल कर ली जाती है?
सवाल उठता है कि ऐसा कब तक चलेगा?
कब तक पुलिस,सीबीआई,कानून और अदालतें चांदी के सिक्कों की खनखनाहट पर थिरकते रहेंगे?
कब और कैसे कानून और अदालतें गरीबपरस्त होंगे?
शायद कभी नहीं!!!
दिन भर हाई प्रोफाइल ड्रामा
समाचार चैनलो के पास कुछ बचा नही
लगे सुबह से दिखाने
माँ रो रही
बहन की आखे नम
पूरा देश रो रहा है
हद होती है स्वार्थ और कर्तब्य बिमुखता की
आज से 13 साल पहले फुटपाथ में सोये शख्श ( नुरुल्ला शरीफ)  की मौत हुई
किसी भी समाचार पत्र और चैनल नें शायद ही पीड़ित का नाम भी लिया हो
या फिर  परिबार को दिखाया हो
उनके परिवार को ढूंढ कर उनकी व्यथा भी भी दिखा देते
तो शायद पत्रकारिता की सही समझ आम लोगो को भी हो पाती
शराब पीकर ,अंधाधुंध फुटपाथ पर सोये गरीबो को कुचला एक की मौत और 4 बुरी तरह घायल
ये खबर सही मायने में १३ साल बाद भी सही अपना सही अर्थ पाती
अब  न्याय मिला तो वो भी 13 साल बाद
उसमे भी वी आई पी ट्रीटमेंट
साधारणतया न्यायपालिका फैसले के तुरन्त बाद
निर्णय की कॉपी नही देती
दो तीन  दिन लग जाते हैं  कॉपी हासिल करने में
लगता है जैसे  सब तय था
सेशन कोर्ट से निर्णय की कॉपी भी मिल गई
हाईकोर्ट में अर्जी भी लग गई और दो दिन की अंतरिम जमानत भी
13 साल की क़ानूनी लड़ाई के बाद 5 साल की सजा मुकर्र
अंतरिम जमानत फिर  2 दिनों बाद पूरी जमानत
फिर हाई कोर्ट में कितना  लम्बा केस चलेगा ,कहना मुश्किल है
परिणाम क्या आएगा बताने की आवश्यकता नही
लेकिन क्या कभी  मिडिया ने देखा है
देश भर के जेलो में लाखों  ऐसे लोग बन्द है
जो महज कुछ रुपयो का जुरमाना अदा कर छूट सकते है
अब गुनाह तो गुनाह है बॉलीवुड के दबंग का हो या छोटे अपराध का
सबका अपना मत है
लेकिन मेरा अपना मानना है
कि देर से किया हुआ न्याय ,न्याय नहीं होता है।
इस  मामले मे 13 वर्ष बाद आया निर्णय
संत्रास मे बीते 13 साल किसे वापस होंगे
न पीड़ित को न पीड़ित परिवार के उन रिश्तेदारो को जिन्होंने सब कुछ भुगता है
क्योकि 60 वर्ष की आजादी के बाद भी
उन्हें छत मयस्सर नहीं हुई और
फुटपाथ पर सोने पर उन्हें मौत नसीब हुई।
क्या न्याय व्यवस्था मे प्रयोग नहीं हो सकता
यदि कुछ न्याय इस तरह होता जिसमे दोषी को पीड़ित के न सिर्फ आजीवन भरणपोषण करने का दंड मिलता
अपितु उसको आजीवन किसी भी प्रकार की गाडी चलाने पर प्रतिबंधित किया जाता।
पर ऐसा होता तो नहीं है न।
अगर  सरकारें हरेक गाँव तक  बिजली पहुंचा दें
तो दिल्ली मुम्बई में फुटपाथ पे सोने
और किसी शराबी की गाडी के नीचे दब के
कुत्ते की मौत मरने का ख़तरा झेलने वाले
लोगों की संख्या में शायद  कमी आ जायेगी ।
सरकार अगर काम करने लगे
तो कौन जाएगा दिल्ली मुम्बई और लुधियाना का नारकीय जीवन जीने
कौन हैं ये लोग जो चले आते हैं
अपना घर बार बीवी बच्चे और बूढ़े माँ बाप को छोड़ के
यहां किसी फुटपाथ पे जीने और कुत्ते की मौत मरने
क्यों चले आते हैं ?
कौन है जिम्मेवार ?
मीडिया
या फिर न्याय पालिका
या फिर कार्यपालिका
या फिर हम सब
जो हर जुल्म नियति मान  कर  सह गए
शायद
अच्छे दिन कब आएं
जब कानून की नजर में
हर भारतीय की जान की एक सी कीमत हो। ।






शुक्रवार, 1 मई 2015

बिश्व मजदूर दिवस

आज बिश्व मजदूर दिवस है आज के दिन श्रमिक बर्ग ही जो हालत है उसे देखकर मजदूर दिबस मनाने की कल्पना ही बेमानी से लगती है।  पूंजी पति और ताकतबर लोगों के द्वारा किसान ,मजदूर और गरीब लोगों के शोषण की ख़बरें आये दिन सुर्खियां बनती  रहती है।
श्रम ही पूजा है, को मानने बाले मजदुर भाईओं को समर्पित एक रचना। 





ख्बाब था मेहनत के बल पर , हम बदल डालेंगे किस्मत
ख्बाब केवल ख्बाब बनकर, अब हमारे रह गए हैं

कामचोरी, धूर्तता, चमचागिरी का अब चलन है
बेअरथ से लगने लगे है ,युग पुरुष जो कह गए हैं

दूसरों का किस तरह नुकसान हो सब सोचते है
त्याग ,करुना, प्रेम ,क्यों इस जहाँ से बह गए हैं

अब करा करता है शोषण ,आजकल बीरों का पौरुष
मानकर बिधि का विधान, जुल्म हम सब सह गए हैं

नाज हमको था कभी पर, आज सर झुकता शर्म से
कल तलक जो थे सुरक्षित आज सारे  ढह गए हैं



मदन मोहन सक्सेना

बुधवार, 22 अप्रैल 2015

मौत का मंजर

मौत का मंजर



कल शाम टी बी पर एक घटना देखी 
लाचार मजबूर किसान 
इस उम्मीद के साथ
तप्ति  धूप में
बृक्ष पर खड़ा होकर 
नेताओं के शब्दों को ध्यान से सुनता हुआ 
कि शायद अब उसके हालात बदल जाएँ
अचानक क्या हुआ 
कि उसे शब्द खोकले लगने लगे 
आशायें  चकनाचूर होते दिखने लगी 
नेताओं का असली स्वरुप नजर आने  लगा
और इस मिथ्या संसार को 
उसने अलबिदा करने का मन बना लिया 
सिस्टम ने एक किसान की जान ही नहीं ली 
अपितु 
इस घटना ने 
नेताओं की सम्बेदन हीनता को ही  उजागर नहीं किया 
बल्कि पुलिस का गैर जिम्मेदाराना ब्यबहार भी दिखा दिया 
तमाशबीन दर्शकों का असली चेहरा भी सामने ला दिया
धरती पुत्र किसान को भी ये अहसास भी  करा दिया 
कोई किसी की लड़ाई नहीं लड़ता है 
अपने बजूद को बचाने के लिए 
हर एक को खुद आगे आना होगा 
ना की मजबूर  होकर
आत्मघाती कदम उठाना। 


मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

चार धाम की यात्रा


आज से चार धाम की यात्रा की शुरुआत हो गयी है।  हिन्दू धर्म में चार धाम की यात्रा का बहुत महत्ब है. चार धामों को जीवन के चार पड़ाव जन्म से लेकर मोक्ष तक माना है।
 
यमुनोत्री

चारधाम यात्रा का प्रथम पड़ाव है यमुनोत्री। यहां सूर्यपुत्री शनि व यम की बहन देवी यमुना की आराधना होती है। यमुनोत्री धाम से एक किमी की दूरी पर चंपासर ग्लेशियर है, जो यमुना का मूल उद्गम है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि यह असित मुनि का निवास स्थल था। उन्होंने देवी यमुना की आराधना की, जिससे प्रसन्न हो यमुना जी ने उन्हें दर्शन दिए।


गंगोत्री

कथा के अनुसार, भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो गंगाजी स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगोत्री में इन्हीं मां गंगा की पूजा होती है। मान्यता है कि स्वर्ग से उतरकर गंगाजी ने पहली बार गंगोत्री में ही धरती का स्पर्श किया। बताते हैं कि गंगाजी के मंदिर का निर्माण १८वीं सदी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने करवाया था। वैसे गंगाजी का वास्तविक उद्गम गंगोत्री से १९ किमी की दूरी पर गोमुख में अवस्थित है।



केदारनाथ

रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी एवं सरस्वती नदी के आंचल में अवस्थित केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है। कथा है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव प्रायश्चित करने केदारनाथ पहुंचे और भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव बैल रूप में प्रकट हुए। तब से यहां बैल रूपी शिव के पिछले हिस्से की पूजा होती है।









बदरीनाथ

नर-नारायण पर्वत के मध्य स्थित बदरीनाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। मान्यता है कि गंगाजी तीव्र वेग को संतुलित करने के लिए बारह पवित्र धाराओं में बंट गईं। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बद्रिकाश्रम स्थित है। चमोली जनपद में स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आद्य गुरु शंकराचार्य ने करवाया।








विद्वानों ने चार धामों को जीवन के चार पड़ाव जन्म से लेकर मोक्ष तक माना है। आइए जानें चारो धामों का माहात्म्य :
यमुनोत्री
चारधाम यात्रा का प्रथम पड़ाव है यमुनोत्री। यहां सूर्यपुत्री शनि व यम की बहन देवी यमुना की आराधना होती है। यमुनोत्री धाम से एक किमी की दूरी पर चंपासर ग्लेशियर है, जो यमुना का मूल उद्गम है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि यह असित मुनि का निवास स्थल था। उन्होंने देवी यमुना की आराधना की, जिससे प्रसन्न हो यमुना जी ने उन्हें दर्शन दिए।
गंगोत्री
कथा के अनुसार, भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो गंगाजी स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगोत्री में इन्हीं मां गंगा की पूजा होती है। मान्यता है कि स्वर्ग से उतरकर गंगाजी ने पहली बार गंगोत्री में ही धरती का स्पर्श किया। बताते हैं कि गंगाजी के मंदिर का निर्माण १८वीं सदी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने करवाया था। वैसे गंगाजी का वास्तविक उद्गम गंगोत्री से १९ किमी की दूरी पर गोमुख में अवस्थित है।
केदारनाथ
रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी एवं सरस्वती नदी के आंचल में अवस्थित केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है। कथा है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव प्रायश्चित करने केदारनाथ पहुंचे और भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव बैल रूप में प्रकट हुए। तब से यहां बैल रूपी शिव के पिछले हिस्से की पूजा होती है।
बदरीनाथ
नर-नारायण पर्वत के मध्य स्थित बदरीनाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। मान्यता है कि गंगाजी तीव्र वेग को संतुलित करने के लिए बारह पवित्र धाराओं में बंट गईं। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बद्रिकाश्रम स्थित है। चमोली जनपद में स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आद्य गुरु शंकराचार्य ने करवाया।
- See more at: http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-gangotriyamunotri-open-the-valve-which-began-the-journey-from-birth-to-salvation-12287178.html#sthash.RDukF5de.dpuf
विद्वानों ने चार धामों को जीवन के चार पड़ाव जन्म से लेकर मोक्ष तक माना है। आइए जानें चारो धामों का माहात्म्य :
यमुनोत्री
चारधाम यात्रा का प्रथम पड़ाव है यमुनोत्री। यहां सूर्यपुत्री शनि व यम की बहन देवी यमुना की आराधना होती है। यमुनोत्री धाम से एक किमी की दूरी पर चंपासर ग्लेशियर है, जो यमुना का मूल उद्गम है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि यह असित मुनि का निवास स्थल था। उन्होंने देवी यमुना की आराधना की, जिससे प्रसन्न हो यमुना जी ने उन्हें दर्शन दिए।
गंगोत्री
कथा के अनुसार, भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो गंगाजी स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगोत्री में इन्हीं मां गंगा की पूजा होती है। मान्यता है कि स्वर्ग से उतरकर गंगाजी ने पहली बार गंगोत्री में ही धरती का स्पर्श किया। बताते हैं कि गंगाजी के मंदिर का निर्माण १८वीं सदी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने करवाया था। वैसे गंगाजी का वास्तविक उद्गम गंगोत्री से १९ किमी की दूरी पर गोमुख में अवस्थित है।
केदारनाथ
रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी एवं सरस्वती नदी के आंचल में अवस्थित केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है। कथा है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव प्रायश्चित करने केदारनाथ पहुंचे और भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव बैल रूप में प्रकट हुए। तब से यहां बैल रूपी शिव के पिछले हिस्से की पूजा होती है।
बदरीनाथ
नर-नारायण पर्वत के मध्य स्थित बदरीनाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। मान्यता है कि गंगाजी तीव्र वेग को संतुलित करने के लिए बारह पवित्र धाराओं में बंट गईं। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बद्रिकाश्रम स्थित है। चमोली जनपद में स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आद्य गुरु शंकराचार्य ने करवाया।
- See more at: http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-gangotriyamunotri-open-the-valve-which-began-the-journey-from-birth-to-salvation-12287178.html#sthash.RDukF5de.dpuf
चार धामों को जीवन के चार पड़ाव जन्म से लेकर मोक्ष तक माना है। आइए जानें चारो धामों का माहात्म्य :
यमुनोत्री
चारधाम यात्रा का प्रथम पड़ाव है यमुनोत्री। यहां सूर्यपुत्री शनि व यम की बहन देवी यमुना की आराधना होती है। यमुनोत्री धाम से एक किमी की दूरी पर चंपासर ग्लेशियर है, जो यमुना का मूल उद्गम है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि यह असित मुनि का निवास स्थल था। उन्होंने देवी यमुना की आराधना की, जिससे प्रसन्न हो यमुना जी ने उन्हें दर्शन दिए।
गंगोत्री
कथा के अनुसार, भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो गंगाजी स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगोत्री में इन्हीं मां गंगा की पूजा होती है। मान्यता है कि स्वर्ग से उतरकर गंगाजी ने पहली बार गंगोत्री में ही धरती का स्पर्श किया। बताते हैं कि गंगाजी के मंदिर का निर्माण १८वीं सदी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने करवाया था। वैसे गंगाजी का वास्तविक उद्गम गंगोत्री से १९ किमी की दूरी पर गोमुख में अवस्थित है।
केदारनाथ
रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी एवं सरस्वती नदी के आंचल में अवस्थित केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है। कथा है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव प्रायश्चित करने केदारनाथ पहुंचे और भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव बैल रूप में प्रकट हुए। तब से यहां बैल रूपी शिव के पिछले हिस्से की पूजा होती है।
बदरीनाथ
नर-नारायण पर्वत के मध्य स्थित बदरीनाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। मान्यता है कि गंगाजी तीव्र वेग को संतुलित करने के लिए बारह पवित्र धाराओं में बंट गईं। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बद्रिकाश्रम स्थित है। चमोली जनपद में स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आद्य गुरु शंकराचार्य ने करवाया।
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चार धामों को जीवन के चार पड़ाव जन्म से लेकर मोक्ष तक माना है। आइए जानें चारो धामों का माहात्म्य :
यमुनोत्री
चारधाम यात्रा का प्रथम पड़ाव है यमुनोत्री। यहां सूर्यपुत्री शनि व यम की बहन देवी यमुना की आराधना होती है। यमुनोत्री धाम से एक किमी की दूरी पर चंपासर ग्लेशियर है, जो यमुना का मूल उद्गम है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि यह असित मुनि का निवास स्थल था। उन्होंने देवी यमुना की आराधना की, जिससे प्रसन्न हो यमुना जी ने उन्हें दर्शन दिए।
गंगोत्री
कथा के अनुसार, भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो गंगाजी स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगोत्री में इन्हीं मां गंगा की पूजा होती है। मान्यता है कि स्वर्ग से उतरकर गंगाजी ने पहली बार गंगोत्री में ही धरती का स्पर्श किया। बताते हैं कि गंगाजी के मंदिर का निर्माण १८वीं सदी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने करवाया था। वैसे गंगाजी का वास्तविक उद्गम गंगोत्री से १९ किमी की दूरी पर गोमुख में अवस्थित है।
केदारनाथ
रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी एवं सरस्वती नदी के आंचल में अवस्थित केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है। कथा है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव प्रायश्चित करने केदारनाथ पहुंचे और भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव बैल रूप में प्रकट हुए। तब से यहां बैल रूपी शिव के पिछले हिस्से की पूजा होती है।
बदरीनाथ
नर-नारायण पर्वत के मध्य स्थित बदरीनाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। मान्यता है कि गंगाजी तीव्र वेग को संतुलित करने के लिए बारह पवित्र धाराओं में बंट गईं। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बद्रिकाश्रम स्थित है। चमोली जनपद में स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आद्य गुरु शंकराचार्य ने करवाया।
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गुरुवार, 12 मार्च 2015

ऊहापोह



गर्मी के दिन
दोपहर का समय 
आग उगलता सूरज
पसीने से नहाते श्रमिक लोग 
शीतलता का आनंद उठाते 
अपने कार्यालय में सरकारी महकमे के उँचे लोग 
बीरान रास्तों पर 
रोजी रोटी तलाशते 
ऑटो रिक्शा बाले 
रात्रि में कार्य करने के लिए 
ऊर्जा जुटाते 
छाया में सोते कुत्ते 
ठीक सिस्टम की तरह 
अपने को सही करने की ऊहापोह 
में ब्यस्त। 

मदन मोहन सक्सेना




बुधवार, 10 दिसंबर 2014

आज विश्व मानवाधिकार दिवस है


 आज विश्व मानवाधिकार दिवस है

कहने को शुभकामनाओ का सिलसिला तो जारी है 
क्योंकि-
आज विश्व मानवाधिकार दिवस है

पर सोचने की बात ये है कि 
हम में से कितने अपने मानवाधिकार की सुरक्षा के प्रति सजग हैं
और उसके लिए कितने प्रयास रत हैं 
चन्द रस्म अदायगी और औपचारिकताओं को पूर्ण करके
क्या बास्तब में समाज के सबसे निचले तबकों 
के मानब अधिकारों की रक्षा कर पायेंगें 
या फिर ये अन्तहीन  सिलसिला यूँ ही जारी रहेगा 

मदन मोहन सक्सेना

शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

ख्बाबों का आसमान

ख्बाबों का आसमान 



मैं 
एक युबा 
छूना चाहती हूँ 
ख्बाबों का आसमान 
किन्तु 
मेरे सपनों के बीच 
कभी शिक्षक
कभी न्यायधीश 
तो कभी राजनेता 
कभी तथाकथित संत 
कभी पत्रकार 
मेरे बजूद को 
तार तार करने का 
कोई मौका नहीं छोड़ते।
अब मैंने भी प्राण ले लिया है कि 
उन सबकी इज्जत को
समाज में मिटटी में मिला दूंगी 
जो मेरे से 
किसी भी तरह 
नाइंसाफी करेगा।

बुधवार, 13 नवंबर 2013

दिल के पास


दिल के पास
 
ऐसे कुछ अहसास होते हैं ,हर इंसान के जीवन में
भले मुद्दत गुजर जाये , बे दिल के पास होते हैं


जो दिल कि बात सुनता है बही दिलदार है यारों
दौलत बान अक्सर तो असल में दास होते हैं


अपनापन लगे जिससे बही तो यार अपना है
आजकल तो स्वार्थ सिद्धि में  रिश्ते नाश होते हैं

धर्म अब आज रुपया है कर्म अब आज रुपया है
जीवन के खजानें अब, क्यों सत्यानाश होते हैं

समय रहते अगर चेते तभी तो बात बनती है
बरना नरक है जीबन , पीढ़ियों में त्रास होते हैं


 
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

सोमवार, 11 नवंबर 2013

ना जाने ऐसा क्यों होता






निगाहों में बसी सूरत फिर उनको क्यों तलाशे है
ना जाने ऐसा क्यों होता और कैसी बेकरारी है

ये सांसे ,जिंदगी और दिल सब कुछ   तो पराया है
क्यों आई अब मुहब्बत में सजा पाने की बारी है 

मदन मोहन सक्सेना